मृगतृष्णा
मृगतृष्णा
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सामान्य जीवन में
ज्यादा की तलाश
बेहतर की तलाश
वो मृगतृष्णा है
जो कभी पूरी नहीं होती है
पर आभासी जीवन में
तलाश करने वाले
जुनूनी होते है
उनकी ज्यादा की तलाश
जो उनके पास है
उससे बेहतर की तलाश
अनवरत जारी रहती है
कल जो बेहतर था
आज किसी और से मिलने के बाद
बेहतर न रहा
आज जो बेहतर मिला है
उसे कल कोई और बेहतर
प्रतिस्थापित कर देगा
और उसे कोई और
यह सिलसिला
इस तलाश में उलझे
चेहरों की उन झुर्रियों
से भी उलझा हुआ है
जो हर गुजरते दिन के साथ
और ज्यादा गहरी होती जाती है
उनकी उलझी मानसिकता की तरह
और ज्यादा उलझती जाती है ।