रंगशाला
रंगशाला
दिन का आरम्भ होते ही
सज गई है आभासी रंगशाला
नर्तक भी है
नर्तकी भी
गवईया भी है
बजैया भी
विदूषक भी है
भाट भी
झुर्रियों भरे चेहरे लिए
इठला रहे
नर्तक और नर्तकियां
सुर न ताल
गा रहे, बजा रहे
बजैया और गवैया
रुग्ण हंसी चारो तरफ
हंस रहे, हंसा रहे
विदूषक और भाट
आभासी रंगशाला
के वादे अनोखे
इरादे अनोखे
तारीफ अनोखी
निंदा अनोखी
क्या सच है क्या झूठ
न कोई जानता
न जानने की इच्छा
बस एक ही सत्य है
ये है आभासी रंगशाला
यहाँ
नर्तक भी है
नर्तकी भी
गवईया भी है
बजैया भी
विदूषक भी है
भाट भी।