STORYMIRROR

निशांत कुमार सिंह

Drama Romance Tragedy

4  

निशांत कुमार सिंह

Drama Romance Tragedy

जिसे टूटकर चाहा था कभी...।।

जिसे टूटकर चाहा था कभी...।।

1 min
435


जिसे टूटकर चाहा था कभी...।।

उसे छोड़ आया हूं मैं।।2

जो मंजिल थी मेरी

उस रास्ते से मुंह मोड़ आया हूं मैं।।

जिसे टूटकर चाहा था कभी...

उसे छोड़ आया हूं मैं...

जिस आईने में निहारता था खुद को 

उसे तोड़ आया हूं मैं..।।

जिसे चाहा था...2

हे भगवान हो सके तो जहन्नुम की आग नसीब करना मुझे..।।

जो दुआ थी मेरी, उसका दिल तोड़ आया हूं मैं।।

जिसे टूटकर चाहा...2


ए खुदा अब कोई खुशियां ना बख्शना हमें।।

क्योंकि..

हर खुशियों का गला घोट, उसे झकझोर आया हूं मैं...।।

जिसे टूटकर...


हां..।।

हूं मैं नफरत के लायक

जिसके लिए था सबकुछ मैं 

उसे है तन्हा छोड़ आया हूं मैं...।।

जिसे टूटकर...


कुछ मजबूरियां थी मेरी, शायद , समझ भी जाती वो

पर इसी बहाने, कायरों की तरह ख्वाब उसके तोड़ आया हूं मैं...।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama