जिसे टूटकर चाहा था कभी...।।
जिसे टूटकर चाहा था कभी...।।


जिसे टूटकर चाहा था कभी...।।
उसे छोड़ आया हूं मैं।।2
जो मंजिल थी मेरी
उस रास्ते से मुंह मोड़ आया हूं मैं।।
जिसे टूटकर चाहा था कभी...
उसे छोड़ आया हूं मैं...
जिस आईने में निहारता था खुद को
उसे तोड़ आया हूं मैं..।।
जिसे चाहा था...2
हे भगवान हो सके तो जहन्नुम की आग नसीब करना मुझे..।।
जो दुआ थी मेरी, उसका दिल तोड़ आया हूं मैं।।
जिसे टूटकर चाहा...2
ए खुदा अब कोई खुशियां ना बख्शना हमें।।
क्योंकि..
हर खुशियों का गला घोट, उसे झकझोर आया हूं मैं...।।
जिसे टूटकर...
हां..।।
हूं मैं नफरत के लायक
जिसके लिए था सबकुछ मैं
उसे है तन्हा छोड़ आया हूं मैं...।।
जिसे टूटकर...
कुछ मजबूरियां थी मेरी, शायद , समझ भी जाती वो
पर इसी बहाने, कायरों की तरह ख्वाब उसके तोड़ आया हूं मैं...।।