सोचा था, जब आएगी जवानी...!!
सोचा था, जब आएगी जवानी...!!
सोचा था, जब आएगी जवानी!!
दुनिया होगी हमारी दीवानी
सारा जहाँ होगा मुट्ठी में
ऐसी होगी अपनी कहानी!!
पर मैं जब, सपनों से जागा!!
सारे ख्याल जैसे नंगे पांव हो भागा
इस भागमभाग की दुनिया में
जीवन है उलझा हुआ धागा!!
सोचा था जब आएगी जवानी!!
दुनिया होगी अपनी दीवानी
किसे पता था, ये रवानी??
बननी थी किताबें, अध्याय न बन सका
छूनी थी हिमालय, दो कदम न चल सका!!
जीना था दिन सा
शाम सा ढल न सका!!
रौशन करना था,
सारा जहाँ-२
सूर्य सा जल न सका!!
सोचा था जब आएगी जवानी
दुनिया होगी हमारी दीवानी!!
ना पता था, ऐसे बिखड़ेगी, हमारी कहानी।।
संघर्ष के इस युग में,
गम, तकलीफें और तन्हाई है साथ!!
सांसे मानो गिरवी हो
बनकर रह गया जिंदा लाश!!
इस चकाचौंध की नगरी में,
कौन पराया कौन है खास
बस जिए जा रहे हैं, बिना चैन के!!
पता नही आज भी है कुछ करने की आस
पर सोचा था जब आएगी जवानी
दुनिया होगी हमारी दीवानी!!
निकलते निकले रह गए यारों
ऐसी डूबी अपनी कहानी!!