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Kumar Vikrant

Tragedy

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Kumar Vikrant

Tragedy

तेरी रजा

तेरी रजा

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तुमसे मिलने के बाद 

तुमने जो भी कहा 

और जो न कहा 

वो मैं करता रहा 

क्यों न करता 

प्रेम किया था न तुमसे। 

तुमसे मिलने के बाद 

मैंने खुद से मिलना छोड़ दिया था 

क्या मिलता खुद से 

मेरा वजूद तो तुमसे था 

इसलिए 

तुमसे ही मिलता रहा। 

तुमसे मिलने के बाद 

सारी दुनिया से अदावत हो गई थी 

क्यों न होती 

दुनिया तेरे मेरे बीच आ खड़ी थी 

तुझसे मिलने के लिए 

मैं दुनिया से लड़ता रहा। 

तुमसे मिलने के बाद 

किसी से न हारा 

सिवाय तेरी खामोशी के 

तू खामोश होती गई 

मैं तुझसे दूर 

बढ़ता गया। 

अब तू कहाँ है 

तेरी खामोशी क्योंकर थी 

मुझे पता न चल सका 

तेरी कुछ मजबूरियां ही रही होंगी 

तेरी मजबूरी न समझकर 

भी समझता रहा 

तुझसे दूर बढ़ता गया। 

तूने मुझे कभी जाने को न कहा 

तेरी मेहरबानी 

लेकिन मुझे जाते देख 

न कभी रोका 

न कभी पुकारा 

मुझसे बिछड़ना रजा थी तेरी शायद 

इसलिए तेरी रजा को 

सर माथे पर रख कर 

आगे बढ़ता गया 

तुझसे बिछड़ता गया। 


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