...तुम हो!
...तुम हो!
तुम्हारे साथ में हम हैं हमारे साथ में तुम हो!
चलेगी आखरी जो जिंदगी की साँस में तुम हो !
जहां पर देखता हूँ मैं तुम ही तुम हो नजर आते,
मगर क्यूँ एक पल तुम को जुदा कर भी नहीं पाते,
करे हम बंद ये आँखें तो प्यारे ख्वाब में तुम हो।
तुम्हारा देख कर चेहरा हमारा दिन निकलता है,
तुम्हारा रूप देखे तो तुम्ही से चाँद जलता है,
तुम्ही आते सुबह में और आते रात में तुम हो।
अभी मत पूछना तुम ये कि शायर कैसे जीता है?
तुम्हारे नैन का प्याला ये आहें भर के पीता है
नशा ऐसा तुम्हारा है कि मय के जाम में तुम हो।
हमारी 'काल्पनिक' बातें, अगर तुम वास्तविक मानो,
हमारा हाल-ए-दिल तुम भी बताए बिन कभी जानो,
कि ख़ामोशी में तुम हो और सारी बात में तुम हो।
धून:
1 सुहानी चाँदनी रातें , हमें सोने नहीं देती
2 बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
3 किसी पत्थर की मूरत से .....
4 सजन रे झूठ मत बोलो....
(और भी कई गाने बहर-ए-हज़ज में लिखी गई है।)