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Kalpesh Vyas

Abstract Drama

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Kalpesh Vyas

Abstract Drama

आज-कल की जिंदगी

आज-कल की जिंदगी

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दिन भर की थकान रात को सुलाती है। 

पर जिम्मेदारियाँ सुबह को जगाती है। 


हमें सारा दिन यहाँ से वहाँ भगाती है।

सफलता मृगजल की भाती लुभाती है। 


वो हम को अपने पास रोज बुलाती है।

कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है। 


थकान हमें रात को फिर से सुलाती है। 

जिम्मेदारियाँ फिर सुबह को जगाती है।


जिंदगी बस ऐसे ही गुजरती जाती है ।

कभी-कभी जिंदगी हद से गुजर जाती है।


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