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Kalpesh Vyas

Drama Romance

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Kalpesh Vyas

Drama Romance

प्रेम

प्रेम

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आँखों के जाम से मय बनकर छलक जाता है प्रेम।

अधरों पर प्यारी मुस्कान बन कर छा जाता है प्रेम। 


कानों को छुने वाली एक मधूर धून बन जाता है प्रेम। 

गालों पर छाई हया की लाली में दिख जाता है प्रेम। 


पलकें झुका कर, मौन रह कर कुछ कह जाता है प्रेम।

सरल नही पर सांकेतिक भाषा में स्विकारा जाता है प्रेम। 


शाब्दिक भाषा और परिभाषाओं से परे होता है प्रेम।

लो ! ऐसे ही शब्दों में वर्णन किया जा सकता है प्रेम। 


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