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खुब जला करते थे

खुब जला करते थे

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कभी मोहब्बत में हम भी खुब जला करते थे

देख के उनको औरों के संग बहक जाया करते थे


उखड़ जाता था दिल हमारा देखकर जब इस कदर

आकर बड़े जतन से फिर वह मुझे खूब मनाया करते थे


शक की निगाहें घूम जाती थी उनकी तरफ जब वो

जरा सा हंस कर किसी और से बात किया करते थे


कुछ और नहीं शायद यह जलन मोहब्बत की थी

तभी हम अपने आप से भी खफा हो जाया करते थे


दो घड़ी आकर मुझसे पूछ लेते थे हाल-ए-दिल

पल भर में हम मौसम की तरह बदल जाया करते थे


वक्त हसीन वो अब गुजर गया हमदम सोचते हैं अब

क्यों हमारे मिजाज हर पल बदल जाया करते थे।


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