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Mayank Verma

Drama Romance Inspirational

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Mayank Verma

Drama Romance Inspirational

रूह का रिश्ता

रूह का रिश्ता

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अजीब रिश्ता है मेरी सोच से परे,

बस में नहीं कि कोई सोच के करे।

अनजान चेहरा, कुछ अपना सा लगे,

खामोशियों को जिसकी हंसी भरने लगे।


बेवजह मिलना, मिल के बिछड़ना,

वक़्त की रेत का बेपरवाह फिसलना।

मील के पत्थर सा किसी मोड़ पे मिले,

हर बार हाल पूछ कर फ़िर आगे बढ़ चले।


ना रिश्ते में बांधा, ना कोई नाम ही दिया,

बस रूह जोड़ दी, किस धागे से सिया।

ना हमको बताया, ना उनको की खबर,

चल रहे थे साथ, मगर दोनों बेखबर।


कभी दूरियों का वास्ता, कभी दुनिया की बंदिशें,

हर बार ख़ुद को रोकना दबाके ख्वाहिशें।

ना जाने किस फ़िराक में है वो भी क्या पता,

हर बार मिलाकर दो पल, बदलता है रास्ता।


सोचा था कि इस बार पलट देंगे हम रज़ा,

हालात कर दिए मगर हर बार की तरह।

फिर कभी वो शाम होगी, कहीं बात होगी,

किस्मत में हो अगर, तो फिर मुलाकात होगी।


इतना भी बेरहम नहीं, जितने सितम किए,

हर बार मिलाने के उसी ने रहम किए।

गर मिलना बिछड़ना ही लिखा है इस जन्म,

तो, फिर मिलने के इंतज़ार में ही जी रहे हैं हम।


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