भारी हर लम्हा.... भारी हर पहर...
भारी हर लम्हा.... भारी हर पहर...
ऊज़ड गऐ शहर शहर
ऊज़ड गऐ सपनों के महल
ये बीमारी बन गई ऐक कहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
ये कैसी है दूसरी लहर।
ये कैसा फैल रहा ज़हर
ये बीमारी बन गई ऐक कहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
कैसा ये अजीब माहौल है
कैसा ये अजीब माहौल है
ये माहौल है।ये माहौल है
हर चेहरे पर नकाब है।
जिंदगी हो गई है तितर बितर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
कुदरत का ये
जो अज़ाब है।
कुदरत का ये जो अज़ाब है।
ये अज़ाब है।ये अज़ाब है।
हर शक्स कैद होके रह गया।
रफ्तार गई ठहर ठहर
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
अब मौत के बाद भी कतार है।
अब मौत के बाद भी कतार है।कतार है कतार है।
लाशो से भरें है मूर्दा घर।
बिलख रही हैं ऊनके अपने मगर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
भारी हर लम्हा भारी हर पहर।
फिल्म
मेरे हमसफर (१९७०)
गीत/धून ।।किसी राह में किसी मोड़ पर।
कहिं चल ना देना तू छोड़कर।. मेरे हमसफ़र मेरे हमसफ़र ।।।