ये लम्हे जिन्दगी के..
ये लम्हे जिन्दगी के..
लम्हे जिन्दगी के...
यादों के बक्सों में धूल की चादर से लिपटे हूऐ..
खयालों के पिंजरे में यादों के परिन्दे सिमटे हूऐ..
कागज़ की कश्ती से बह गऐ
नम आसुओं के मोती रह गऐ..
लम्हे बदल गऐ..लोग बिछड़ गऐ..
कुछ रूठ गऐ..तो कई जिन्दगी को अल् विदा बोल गऐ...
बचपन था ऐक भोला सा...
जब रिश्तों में हमें किसी नें ना तोला था...
गुम हो गये या थम से गऐ...
काश फिर जी लूं एक बस..
ये लम्हे जिन्दगी के..
ये लम्हे जिन्दगी के!
