भ्रष्टाचार....
भ्रष्टाचार....
दुराचार, दुरविचार...इसी कुटुंब का सदस्य भ्रष्टाचार...
पाप पाखंड अत्याचार...लुप्त सा हो गया है सदाचार..
आचरण भंग है...ठगी, धोखाधड़ी संग है..
बुद्धि का हुआ विनाश...मानवता रौन्दकर छू रहे आकाश..
पैसा है भगवान...हर चीज़ का सौदा कर रहा इनसान...
एक तरफ गरीबी और भूख ...दूसरी तरफ और रसूख..
ना ईमान ना ईमानदारी है...नकद नारायण की माया सारी है..
ना दोस्ती ना रिश्तेदारी है...हर ओर कालाबाजारी है...
एक दिन आएगा भ्रष्टाचार काल के गाल में समा जाएगा...
मानव इतिहास रचाएगा....यह भ्रष्टाचार का दानव धू धू कर जल जाएगा...