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Manju Rani

Tragedy Crime Inspirational

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Manju Rani

Tragedy Crime Inspirational

तुम रोना ना

तुम रोना ना

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जब दर्द तुम्हें बहुत सताए

तब तुम रोना ना।

अपना धैर्य खोना ना

चुपके से उन प्रेममय

क्षणों में खो जाना

पर कुछ कहना ना।

दिल में दीया जला

खुद ही खुद को

ही रोशन कर लेना।

जब दर्द तुम्हें बहुत सताए।


जब दर्द तुम्हें बहुत सताए 

तब तुम रोना ना।

हाथ थाम उस पुष्प का

जो काँटों से भरा हो

उसकी चुभन महसूस

कर, खुशबू फैला देना।

अपना दर्द कम कर लेना

जब दर्द तुम्हें बहुत सताए।

जब दर्द तुम्हें बहुत सताए

तब तुम रोना ना।

उन गलियों से गुजरना

जहाँ मुस्कान ने उन्हें

कभी अपना माना ना,

प्यार ने कभी

प्यार से पुकारा ना।

नफरत ने कभी

दामन छोड़ा ना।

गालियों के स्वर पर

जागना और सोना,

उस गली से गुजरना

जब दर्द तुम्हें बहुत सताए।

जब दर्द तुम्हें बहुत सताए

तब तुम रोना ना।

उन राहों से निकलना

जहाँ दर्द चीखते-चिल्लाते

दम तोड़ देता

पर दर्द देने वाला

कभी गुनहगार कहलाता ना।

हर क्षण अरमानों और

आत्माओं का खून होता

पर उसे कातिल कोई कहता ना।

मासूमों के हृदय से खेल जाता

पर हत्यारा कोई पुकारता ना।

कभी उन मरी हुई

आत्मा के हृदय में झाँकना

तो दर्द, दर्द को काट देगा

तब एक इंसान का जन्म होगा।

वह इंसान, इंसान के दर्द को

पहचानता होगा,

वह किसी को दर्द न दे पाएगा

और ऐसे एक फूलों का

गुलशन खिल जाएगा।

जहाँ मुस्कुराता हुआ स्वर्ग

धरा पर बस जाएगा।


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