STORYMIRROR

Rahulkumar Chaudhary

Action Crime Children

5  

Rahulkumar Chaudhary

Action Crime Children

बुलन्द मां का प्यार

बुलन्द मां का प्यार

1 min
333


बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है

बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है


बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ

तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है


यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता

मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है


अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई

ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है


मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है

हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है


मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है

कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है


ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में

ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action