नारी..
नारी..
नारी...परमात्मा की रचना है...
मगर...उसे...कई...संघर्षो से लड़ना है..
ड़टना है..ना मिटन है...
ऐक नऐ अध्याय को लिखना है...
कभी ऊठाई कलम ...तो कभी तलवार...
कभी माँ बन किया दुलार...
तो कभी..काली बन.किया शत्रू संहार..
प्रेमिका बन किया न्यौछावर प्यार...
तो कभी दूश्मन को धूल चटाई...सीमा पार..
नारी तेरे रूप अनेक...तू शक्ति सी पुजी जाती है...
झाँसी कि रानी,जीजा माता जैसी योद्धा कहलाती है...
हर क्षैत्र में तू है अव्वल....
हो डॉक्ट्रर,सायंटिस्ट,होममेकर या ईन्जिनियर...
नारी तू है विश्व जननि...
तू ही है सरस्वती,पार्व ती और लक्ष्मि...
नारी ...तू वस्तू नहीं इंसान है...
तेरा हर। स्वरूप महान है...।
