भ्रूण हत्या
भ्रूण हत्या
एक अजन्मी बेटी की चित्तकार...
मैं एक नन्हीं-सी कली थी
खुश थी इस प्यार भरे संसार में आऊँगी,
सोचा था जब तक नहीं आती
तब तक इस दुनिया को आपके नयनों से देखूँगी,
आपके एहसास को अपनी दुनिया बना लूँगी
आपके आँचल में पूरा विश्व समा लूँगी,
पर आपनें क्यों मेरे लहू से अपने हाथों को रंग डाला
क्यों माँ मेरे आने से पहले इन खुशियों को छीन डाला,
गलती क्या थी मेरी यही कि
मैंने अपने जन्म के लिए आपकी कोख को चुना,
माँ बस एक बार मुझे इस दुनिया में तो आने देती
आपकी झोली को खुशियों से भर देती मैं,
आपके सपनों को खुद का सपना मान लेती मैं,
पर क्यों माँ मुझे अपनी कोख में ही मार डाला;
मैं एक फूलों की एक छोटी-सी कली थी
बढ़नें देती पूरे घर को अपनी खुशबू से महका देती,
इस दुनिया में आती आपके नाम को और बढ़ा देती
कल्पना चावला, सानया नेहवाल, पी.वी.सिंधू
जैसे मैं भी अपना नाम चमका पाती,
माँ आपकी परछाई बनकर हमेशा आपके लिए खड़ी रहती
पर क्यों माँ, क्यों मेरे खून से खुद को रंग डालाl
अब सुनिये एक माँ की फनकार...
हाँ हूँ मैं तेरी गुनाहगार
हाँ रंग डाले हैं मैनें अपने हाथ तेरे खून से,
मुझे माफ कर देना तुम
मैनें तुमको नहीं आने दिया इस दुख भरे संसार में,
हाँ सही सुना ये प्रेम भरा नहीं दुखों से भरा संसार है
यहाँ तुझे हमेशा फूल ही मिले ये मुमकिन नहीं,
काँटों के रास्तों पर भी चलना पड़ता तुझे,
मानती हूँ कि तुम मेरे जीवन में आती
तो खुशियों से भर देती मेरा जीवन,
मेरे आँचल में पूरे विश्व को समा देती तुम,
पर सच है ये भी तुम्हें मारना मेरे लिए भी आसान कहाँ
दिन रात बस तुम्हारे मारने के बोझ से दबी हुई हूँ मैं,
जानती हूँ कि मैं तुम्हारी गुनाहगार हूँ
तुम मुझे इतनी आसानी से माफ नहीं करोगी
पर एक सच ये भी है कि मैनें तुम्हें तबाह होने से बचाया है,
ये दुनिया जितनी आकर्षक है उतनी ही अंदर से घिनौनी है
बस तुझे उसका स्वाद लगने से बचाया है,
जानती हूँ तुम भी कल्पना चावला, पी.वी. सिंधू जैसे अपना नाम चमकाना चाहती थी;
मेरे सपनों को अपना सपना बनाकर उन्हें साकार करना चाहती थी,
पर मैं मजबूर थी तुम्हें इस दुनिया में नहीं ला सकी
क्योंकि मेरे आसपास भी कुछ लोग ऐसे भी हैं,
जो कन्याओं के जन्म पर शोक मनाते हैं,
मजबूर थी कि कहीं तुम्हें भी इन बेड़ियों में ना जकड़ लिया जाए,
कहीं तुम्हें भी एक भ्रूण हत्या के लिए मजबूर ना कर दिया जाए,
बस मजबूर थीl