असाधारण प्रेम
असाधारण प्रेम
सोच के मैं डर जाता हूँ
तेरे ख्यालों में हर पल जीता हूँ
जब जब तेरे पायल की घुंघरू सुनता हूँ
तेरी ही ओर खिंचा चला आता हूँ
एक अजीब सी कशिश है तुम्हारी आंखों में।
एक अजीब सी कशिश है तुम्हारी आंखों में
जैसे शराब की नदियां बहती हो
और मै उसमें गोते लगाता चला जाता हूँ
सोचता हूँ।
सोचता हूँ कि तुम मेरे सिर्फ़ ख्यालों में ही नहीं हो
हकीकत में भी तुम मेरे आसपास हो
जब जब तेरी तेज दिल की धड़कन सुनता हूँ
तेरी ही ओर भागा चला आता हूँ..
एक अजीब सा अपनापन लगता है तुम्हारे साथ मुझे।
एक अजीब सा अपनापन लगता है तुम्हारे साथ मुझे
खालीपन से भी अब मुझे डर सा लगता है
जब जब छोड़कर तुम चली जाती हो
आंसूओं का बांध टूट सा जाता है
सोचता हूँ।
सोचता हूँ तुम फिर आओगी मेरे पास
और भिगो दोगी मुझे अपने आंचल से
छेड़ दोगी फिर से वो तार मेरे दिल के
समेट लोगी मुझे अपनी जुल्फों की छांव में
पास हो तो दूर क्यों चली जाती हो।
पास हो तो दूर क्यों चली जाती हो
दिल में दफन जज्बात को
उजागर क्यों कर जाती हो
जब हमेशा से तुम मेरे साथ थी
छोड़ कर भी अपने साये को साथ ले जाती हो
छोड़ कर भी अपने साये को साथ ले जाती हो।