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Gyan Priya

Drama

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Gyan Priya

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देखो खेल मानव जीवन का

देखो खेल मानव जीवन का

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देखो खेल मानव जीवन का

शिशु रूप में वो मन मोह रहा

माँ की ममता के छाँव तले

देखो खुद पर इतरा रहा

पिता की छत्रछाया पाकर

कैसे ऊँगली पकड़े आगे बढ़ना सीख रहा।


देखो खेल मानव जीवन का

बाल्य रूप में वो मन मोह रहा

दादा-दादी का दुलार पाकर

कैसे खुद पर इतरा रहा

नये-नये अठखेलियाँ करके

कैसे सबका मन मोह रहा।


देखो खेल मानव जीवन का

किशोर रूप में वो मन मोह रहा

विद्यालय में नये दोस्त बनाकर

कैसे खुद उड़ना सीख रहा

अपने गुरू का आशीष पाकर

उनकी शिक्षा से कैसे वो आकाश में उड़ रहा।


देखो खेल मानव जीवन का

युवा रूप में वो मन मोह रहा

अपनी समझदारी से 

कैसे सबका मन जीत रहा

अपने हिस्से की जिम्मेदारी को निर्वाह कर

एक अच्छा इंसान बनने की ओर बढ़ रहा।


देखो खेल मानव जीवन का

वृद्ध रूप में वो मन मोह रहा

अपने पोते पोतियों के रूप में

कैसे खुद को फिर से जी रहा

आखिरी लम्हों को अपने मन में बसाकर

देखो कैसे एक शव के रूप जहाँ से जा रहा।


देखो खेल मानव जीवन का 

कई रूप में वो मन मोह रहा

जिंदगी के कठिन रास्तों पर चलकर 

खुद को आगे बढ़ा रहा

जीवन के कई रंग है 

शिशु, बाल, किशोर, युवा और वृद्ध अवस्था तक

जीवन जीता रहा और देखो खेल मानव जीवन का।।


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