"बसंत ऋतु तिथि,पंचम'
"बसंत ऋतु तिथि,पंचम'


बसंत ऋतु का हुआ है,आगमन
प्रसन्न और प्रफुल्लित है,यह मन
वसुधा ने भी ओढा है,पीत वसन
उष्ण हुई,शनै-शनै,शीतल पवन
परिवर्तन इस संसार का नियम
यह बताता बसन्त ऋतु आगमन
बसन्त ऋतु की यह तिथी,पंचम
आज करते मां का विशेष सुमिरन
मां सरस्वती,कृपा करें जिस जन
वो मूढ़मति बनता,विद्वान सज्जन
यकीं न आता देख लो,कालिदास
जो बने विद्वान,करके मां का वंदन
आज जो शारदे को अर्पित करे,मन
उसके अज्ञान के मिटते सब बन्धन
ज्ञान की ज्योति जलती है,भीतर तन<
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मां शारदे ध्यान से पाते है,विद्या धन
जो आज करते है,पूजा ओर हवन
वो पाते है,मां सरस्वती भक्ति सुमन
आओ इस बसन्त ऋतु तिथी पंचम
मां शारदे की हम सब करे,आराधन
जो विद्यार्थी करे,शारदे स्तुति-श्रवण
उसका सदैव पढ़ने में लगता है,मन
वो छूता है,एकदिन अवश्य ही गगन
जो ज्ञान की रस्सी से उड़ाता है,पतंग
जो मां हंसवाहिनी की जाता है,शरण
वो बिना फूलों के महकता है,जीवन
वो अमावस्या भी बन जाती है,पूनम
जो मां भक्ति व कर्म में रहता है,मगन