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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

क्या तारीफ़ करुँ?

क्या तारीफ़ करुँ?

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क्या तारीफ़ करुंँ तेरे कजरारे नैनों की,

तेरे नैनों में मेरी तस्वीर दिखाई देती है, 

तेरी नज़र से घायल होना है ओ सनम,

तेरे नैनों के आईने में मुझे रहना है। 


क्या तारीफ़ करुँ तेरे गुलाबी होंठों की,

तेरे होंठों से शब्द की सरिता बहती हैं, 

मैं शब्दों को कलम में उतारूंगा ओ सनम,

मुझे तेरे इश्क की गज़ल लिखनी हैं।


क्या तारीफ़ करूँ तेरे बेशुमार हुस्न की,

तेरा हुस्न मुझ को दीवाना बनाता हैं, 

मैं तेरे हुस्न में मदहोश बनुंगा ओ सनम,

मुझे चांद और सितारों को शरमाना हैं। 


क्या तारीफ़ करुँ तेरी मस्त अदाओं की 

जीसे देखकर हम रोम रोम लहराते हैं,

तू जन्नत से आई हुई परी हैं ओ सनम,

"मुरली" तेरी बांहों में सिमटना चाहता हैं। 



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