"कोटा आत्महत्या सिलसिला"
"कोटा आत्महत्या सिलसिला"
कब थमेगा, ये आत्महत्याओं का सिलसिला
शिक्षा की नगरी में, यह कैसा शूल है, खिला
विद्यार्थी आता है, यहां पर ख्वाब पूरा करने
विद्यार्थी क्या करे, आज ख्वाबों में विष मिला
विद्यार्थी की मनोदशा को कोई नही सोचता
घर-बाहर हर कोई व्यक्ति उसको ही टोकता
विद्यार्थी को समझानेवाला कोई न रहा, भला
सबको खीझ निकालने हेतु विद्यार्थी ही, मिला
प्रतिस्पर्द्धा दौर में विद्यार्थी कितना पढ़े रोज
सागर जल जैसे कम ही है, जितना पढ़े रोज
ऊपर से माता-पिता उम्मीदों को इतना बोझ
आज विद्यार्थी, खुद के भीतर हुआ, जमींदोज
खेलकूद, बचपन के दोस्त सब ही छूट गये
दिखावे की शिक्षा से विद्यार्थी सब रूठ गये
नहीं पूछता, कोई क्या है, विद्यार्थी रुचि कला
माता-पिता की देखादेखी से वह रोता मिला
यदि सचिन को इंजीनियर बनाते उसके, पिता
फिर कैसे मिलता, क्रिकेट का हमको खुदा
खास सब विद्यार्थी को पसंद का कार्य मिले,
फिर क्यों करे, कोई विद्यार्थी आत्महत्या भला
विद्यार्थी पर आप माता-पिता रहम करो
उस पर अपने ख्वाबों का बोझ कम करो
जो विद्यार्थी आज परिंदा बनकर है, उड़ा
उसने ही फलक को जमीं से दिया, मिला
