प्यार की परिभाषा
प्यार की परिभाषा
टूटकर प्यार करना कौन नहीं चाहता
बस दिल किसी को देना नही चाहता
हम तो रोज राह में पलकें बिछाएँ बैठे हैं
मगर वो इस गली से गुजरना नहीं चाहता
थामकर उसका हाथ चलना कौन नहीं चाहता
मगर ये हाथ अब उसे छूना नहीं चाहता
सोचता हूँ कल उससे मुलाकात हो जाएगी
मुलाकात से कुछ बात हो जाएगी
मगर दिल में जो बैर अब भी बसा बैठा है
उससे ना तो मै और ना वो निकल पाया है
सामने जब भी वो गुजर जाता है
उफ्फ ये दिल हाथ में आ जाता है
सोचता हूँ आज मिटा लूँ मै उससे सारे गिले शिकवे
मगर हर बार वो ऐसा कुछ कर गुजरता है
कि दिल उससे अब फिर से दूरी बना लेता है