दर्द
दर्द
दर्द की शब में भी चांद मुस्काया करे,
जख़्म हर दिल का कोई समझाया करे।
तन्हाइयों ने जब गले लगाया मुझे,
आंसुओं ने मेरे गीत सुनाया करे।
साज़ बन जाए ये टूटा हुआ दिल कभी,
ग़म को हर सांस में महकाया करे।
जिनकी बातों में राहत की ख़ुशबू बसी,
वो भी अब दूर से ही बुलाया करे।
दर्द के शहर में कोई साथी नहीं,
हर कोई अपना दर्द छुपाया करे।
मंज़िलें पूछती हैं "जानी" अब मुसाफ़िर से,
क्यों सफ़र में ख़ुद को ठुकराया करे।