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डॉ. प्रदीप कुमार

Drama

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डॉ. प्रदीप कुमार

Drama

बिजली की महिमा अनंत

बिजली की महिमा अनंत

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लाइट, पावर, बत्ती, कल तक तो थी सस्ती, 

मामूली बिजली-बिल देकर खूब होती थी मस्ती, 

सौ वॉट का बल्ब था, येलो जिसका कलर था, 

ए.सी., गीजर, मोबाइल इतना नहीं पॉपुलर था, 

फिर अचानक मंहगाई आई, 

मंहगी बिजली साथ लाई, 

बिजली-बिल अब दस गुना हुआ, 

विकास ने तब आसमान छुआ।

बिना बिजली अब जीवन नहीं, 

इसकी ज़रूरत अब हर कहीं, 

जो चीजें अब तक मुफ्त थीं, 

वो अब बिजली से मिलने लगीं।

सुबह उठकर जब टॉयलेट जाते, 

पहले बिजली का बटन दबाते, 

अपना मोबाइल चार्जिंग पर लगाते, 

टीवी में भक्ति वाले गाने बजाते।

नहाने को पानी की मोटर चलाते, 

गीजर के पानी से ठंड में नहाते, 

गर्मी में कूलर और पंखा चलाते, 

ठंडे कमरे में हम सो जाते।

अब बात करने को बिजली चाहिए, 

सांस लेने को बिजली चाहिए, 

इलाज करने को बिजली चाहिए, 

विवाह करने को बिजली चाहिए, 

कमाई करने को बिजली चाहिए, 

पढ़ाई करने को बिजली चाहिए।


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