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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

वो अब किसी और का है

वो अब किसी और का है

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वो किसी अपने से अब मेरा नाम बता रहा होगा,

मेरी बुराई करते हुए मेरी कमियां गिना रहा होगा,

मेरी सभी खूबियों से नज़रें बचा रहा होगा,

साथ बिताए हसीन पलों पर पर्दे गिरा रहा होगा।

यादों से मेरी वो अपना दामन छुड़ा रहा होगा,

नए हमसफ़र संग फिर कोई कश्ती चला रहा होगा, जिन रास्तों पर मेरे साथ चला था कभी,

उन सभी रास्तों से मेरे निशान मिटा रहा होगा।

कभी वो बस मेरा था,

इस सच से खुद को बचा रहा होगा,

उसके कांधे पर सर रखकर,

आंसू झूठे बहा रहा होगा,

नया गुलिस्तां पाकर वो

अब खुलकर खिलखिला रहा होगा,

वो अब से केवल उसका है,

 ऐसे फरेबी ख़्वाब दिखा रहा होगा।

चंद दिनों के रिश्ते पर वो बहुत इठला रहा होगा,

जीवनभर के रिश्ते को पल-पल झुठला रहा होगा,

आईने के सामने खड़ा होकर,

 खुद पर इतरा रहा होगा,

दुनिया में वही सबसे खूबसूरत है,

खुद से खुद को बता रहा होगा। 


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