नया कवि
नया कवि
नए कवियों की दुनिया में मची मार-धाड़ है,
हर लिखने वाला कवि है, बड़ी भीड़-भाड़ है,
जो हिंदी में पारंगत है, वो हिंदी में ही लिखता है,
कुछ को हर भाषा का शब्द अपना-सा दिखता है। किसी का दिल टूटा है, किसी का साथ छूटा है,
किसी के शब्द चाशनी हैं,
कोई इमली का बूटा है,
उर्दू भी लाजवाब है,
उसका हिंदी से मेल-जोल है,
मर्म सारा कह रहे,
बस मात्रा में थोड़ा झोल है।
पढ़ नहीं रहा कोई,
लिखने में सब मस्त हैं,
हिंदी वालों के आगे,
अंग्रेजी हो रही पस्त है,
कोई कविता लिखता है, कोई कहानी लिखता है,
जिसकी जितनी ज्यादा पहुंच,
वो उतना अधिक बिकता है।
नया कवि अक्सर पुराने कवि को पकड़ता है,
सफल होते ही वो उसके सम्मुख अकड़ता है,
किसी का सूरज उग रहा, किसी का हो रहा अस्त है,
प्रयासरत हैं सभी, सबका मार्ग प्रशस्त है।
कोई व्यक्तिगत डायरी में कविता लिख रहा,
कोई यूट्यूब पर किसी की कविता पढ़ रहा,
सामाजिक मुद्दे उठा रहे सब ज़ोर-शोर से,
किसी भी मुद्दे का हल न निकल रहा।
