पहली मुलाक़ात
पहली मुलाक़ात
मेरी कई महीनों की मिन्नतें रंग लाई है,
आज पहली बार वो मुझसे मिलने आई है,
कई बार वादे हुए, खोखले कई दावे हुए,
पर आज शायद मेरी किस्मत में नहीं जुदाई है,
देखो आज वो पहली बार मुझसे मिलने आई है।
उससे रिश्ता बनने के पीछे लंबी कहानी है,
हमारी ये कहानी मुझे लोगों को नहीं सुनानी है,
कहते हैं नज़र लग जाती है कभी-कभी खुद की,
इसीलिए मैंने इसे राज़ रखने की कसम खाई है।
इतने महीने बस बात होती रही,
रोज़ाना न सही, बस कभी-कभी,
उसमें भी उनकी खूब ना-नुकुर,
और मेरी मिलने की ज़िद हावी।
आज उसका डर दूर हुआ है शायद,
सूरज भी पश्चिम से उगा है शायद,
मिलने वो मुझसे आई है,
उपहार भी कई लाई है,
खुश भी थी वो, भ्रमित भी लग रही थी,
पर मेरे कहने से बहुत देर तक मेरे साथ बैठी थी।
जाते-जाते मिलने का वादा कर गई है,
पर ज्यादा बात न करने की धमकी भी दे गई है।

