अहंकार की आग
अहंकार की आग
आज तुम्हें सुनाऊंगी कहानी
बात है यह बहुत बरसों पुरानी
किसी गांव में रहता था राजा
नहीं थी जिसकी कोई रानी
हर वक्त गुस्से में रहता था
लोगों को डरा कर हंसता था
कोई और हंसता तो उसे सज़ा देता
अहंकार उसके अंदर बसता था
फिर एक दिन हुआ ऐसा चमत्कार
एक सुंदर लड़की से हुआ उसे प्यार
जिस दिन से देखा राजा सब भूल गया
गुस्सा भुला और छोड़ दिया अत्याचार
एक दिन प्यार का इजहार करने की ठानी
सोच लेकिन उसकी थी वही पुरानी
हीरे मोती ले कर पहुंचा कहने लगा
मैं हूँ राजा यहां का मेरा घर खानदानी
तुम कुटिया में रहने वाली भिखारिन
सुखी रोटी खाती हो पहनती हो उतरन
मेरे साथ चलो विवाह रचा कर
खुशियों से भर दूंगा तुम्हारा जीवन
लड़की ने ठुकरा दिया राजा का प्यार
राजा के प्रतिशोध को दिया ललकार
बर्बाद कर दो इस बेवकूफ को
बोला उसका चोट खाया अहंकार
धमकी दे कर राजा बोला ओ नादान
तूने मुझे ठुकराया तो जाएगी सबकी जान
छोड़ कर ज़िद मेरे साथ चल
यह सारे उपहार देख और खुद को पहचान
ना समझ यह कुटिया नहीं है तेरे लिए
तुझसे सुंदर लौंडिया है मेरे लिए
लड़की ने भी ऐसा जवाब दिया करारा
गुस्से से एक थप्पड़ राजा के मुंह पर मारा
चला जा यहां से राजा कहता है खुद को
स्त्री का सम्मान करना ना आया तुझको
क्रोधित राजा चला गया सोच कर एक बात
सबक सिखाऊंगा इसे जब होगी रात
रात को राजा ने कुटिया में आग लगाई
लड़की अपने परिवार को बचा कर बाहर लाई
लड़की ने देखा राजा खड़ा हंस रहा था
लड़की के सामने झोपड़ा झुलस रहा था
लड़की ने बढ़ कर छीना राजा का ताज
फेंका उसी आग में राजा का ताज
घमंडी राजा आग में कुदा बचाने अपना ताज
राजा भी जल के भस्म हुआ खत्म हुआ उसका राज
राजा की मौत पर सब ने जश्न मनाया
अहंकार राजा के किसी काम न आया
