हाले दिल
हाले दिल
मुझे वो हर एहसास लिखना है
जो अंदर से काटता है मुझे
कई टुकड़ों में बांटता है मुझे
मगर मुझसे लिखा नहीं जाता
कयोकि लफ्ज़ सारे गुम हो गए हैं
तुम्हारी मेहरबानी से
बताओ ! कैसे मुझे वो लफ्ज़ दोगे
जो तुम्हारी बेहिसी ने छीने हैं
मेरे नाज़ुक से दिल को चीर कर
पत्थर बनाने वाले तुम बताओ
मैं कैसे अपने बिखरते वजूद को समेटुं
मुझे वो जज़्बात लिखने है
जो बता सकें
तिनकों की तरह बिखरना कैसा होता है
सहारा देने वाले हाथों से
अपने सपनों का महल टुटते हुए देखना
कैसा लगता है जब जान पर बन आए
मगर दुनिया के दिखावे को हंसना
मुझे वो हालात लिखना है
जिनहोने मुझे जिंदा लाश जैसा बनाया है
वो दर्द जो मेरे अंदर खुन की तरह
मेरी नस नस मे दौडता है
वो नफरत जो तुम से है
और हर पल बढती जाती है
वो जहर से सने तीर
जो तुमने मेरे दिल में दाग़े हैं
मोहब्बत के नाम पर जो खेल
तुमने खेला है
मेरे मासूम से जज़्बातों की मौत की वजह है
तुमने मुझे बेजान कर दिया
हर दर्द को मेरा मेहमान कर दिया
मैं अब खामोश रहती हूँ
हर सितम चुपचाप सहती हूँ
के तुमने मुझे जीने के काबिल न छोड़ा
औरों का छोड़ो खुद अपना न छोड़ा
आईने में अब अपना ही अक्स अनजाना लगता है
अपने घर में हर अपना ही बेगाना लगता है
छोड़ो अब आगे और क्या लिखूँ
बहतर होगा मैं सदा के लिए खामोश हो जाऊँ....
