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Syeda Noorjahan

Others

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Syeda Noorjahan

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क़िस्मत

क़िस्मत

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मिला कुछ नहीं किसी की सलतनत में

रहा अकेलापन ही मेरी विरासत में


लुटा के देखे हैं मैंने अपनों पर

अपना आप भी लुट गया मुहब्बत में


मेरे चहरे का चर्चा रहा हर जगह

किसी की दिलचस्पी नहीं थी सीरत में


किसी सोच का कोई कोना मैला न हो

ऐसी आच्छाई नहीं मिलती फितरत में


सराब था शायद हकिकत तो न होगी

धोखा होता है अक्सर मुहब्बत में


युंही नहीं मिलती नाकामी ज़िन्दगी में

खोट होती है कहीं न कहीं निय्यत में


खतम हो जाएगी ज़िन्दगी बुलबुले की तरह

कुछ भी नहीं रखा है माल और दौलत में


अगर सफर कठिन है तो यकीन मानो रौशन

मन्ज़िल भी बेहतरीन होगी किसमत में.


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