ऐसा मेरा बचपन
ऐसा मेरा बचपन
आओ तुम्हें बताऊँ कैसा मेरा बचपन
बड़ा सुहाना सा मेरा बचपन
कांच जैसा नाजुक और शीतल था मन
सच्चे रिश्तों का हमारे पास था धन
खुशी में झूमते और नाराजगी में झूठा सा आक्रमण
ना दिल में कोई बैर था ना कोई चुभन
आओ तुम्हें बताऊँ कैसा मेरा बचपन
रुपया पैसा ना होने का कोई खेद नहीं था
अमीर और गरीब का कोई भेद नहीं था
दोस्ती की चादर में कोई छेद नहीं था
अनमोल खजाने सा मेरे पास मेरा बचपन
आओ तुम्हें बताऊँ कैसा मेरा बचपन
आधुनिक नहीं थे मेरे मिट्टी के खिलौने
रोज कुछ अलग बन्ने के ख्वाब सलोने
नर्म मुलायम नहीं थे सादा थे बिछौने
फिर भी नींद से बोझिल होते थे नयन
आओ तुम्हें बताऊँ कैसा मेरा बचपन
कभी कोई खौफ का बादल ना मंडलाया था
जब तक सर पर मेरे बाबा का साया था
वक्त ने ग़म का ना कोई तीर चलाया था
अब तो होती है खुली हवा में भी घुटन
आओ तुम्हें बताऊँ कैसा मेरा बचपन
ऐसा सुहाना था मेरा बचपन
जी भर के जी लो यह बचपन फिर नहीं आएगा
याद बन कर हर पल दिल को सताएगा
लोगों के बीच होगे अकेलापन डराएगा
होंठ मुस्कुराएंगे मगर रुलाएगा जीवन
आओ तुम्हें बताऊँ कैसा मेरा बचपन।
