अदाकारी एक हुनर
अदाकारी एक हुनर
एक मंच जो जज्बातों की अभिव्यक्ति बना,
कभी दर्द का मंज़र कभी खिल खिला उठने की वजह बना,।।
किरदारों के सांचो में खुद को ढालना है,
अनेकों रंगों को अब आज़माना है,
सतरंगी चूनर है ये मंच,
एक ख़ूबसूरत श्रृंगार है ये मंच,।।
एक मंच जो जज्बातों की अभिव्यक्ति बना,
कभी दर्द का मंज़र कभी खिल खिला उठने की वजह बना,।।
अनेकों दास्तानों को मंज़िल है मिली,
एक कहानी का अंत हुआ एक नई कहानी शुरू हुई,
भटके से बंजारे को ठिकाना था मिला,
किसी अदाकार ने फिर एक नए किरदार का चोला था सिला,।।
एक मंच जो जज्बातों की अभिव्यक्ति बना,
कभी दर्द का मंज़र कभी खिल खिला उठने की वजह बना,।।
जो तोड़ दे हर ख़ामोशी ऐसा राग रंग मंच है,
जो कर दे झूमने को मजबूर ऐसा गीत रंग मंच है,
किसी थक चुके मुसाफ़िर को आस मिले जिस तरह,
कोरे कागज़ पर हर अदाकार ने लिखी एक अनछुई नई दास्तां,।।
एक मंच जो जज्बातों की अभिव्यक्ति बना,
कभी दर्द का मंज़र कभी खिल खिला उठने की वजह बना,।।
कभी ख़ामोशी से बयान होते वो अनकहे एहसास,
कभी पहन कर घुंघरू दिल झूमता सारी रात,
किसी की अदाओं को महफ़िल की सरहाना मिली,
किसी की नीरस सी आस को रस भरी उम्मीद मिली,।।

