STORYMIRROR

Jyoti Astunkar

Drama Romance Classics

4  

Jyoti Astunkar

Drama Romance Classics

बगीचे का झूला

बगीचे का झूला

1 min
380

बगीचे में पेड़ पर लटके झूले को देखूं तो,

दिल में कुछ हलचल सी मच जाती है,

अपनी भी उम्र थी उन हिंडोलों में झूलने की,

जब दिल में भरा था प्यार, और खुशी थी तुम्हारी दोस्ती की,


सालों बीत गए अब उन एहसासों में,

पर दिल में वो प्यार अब भी कायम है,

उम्र भले ही ढल चली हो हमारी,

पर दिलो दिमाग़ से तो हम अब भी कायल हैं,


मैं एक दादी मां और तुम हो दादा जी,

सोनू मेरा पोता और तुम मिनी के दादू जी,

एक ज़माना बीत गया, गए जो सोनू के दादाजी,

रह गई अकेली मैं, और मेरी यादों के तुम साथी जी,


पड़ोस की गली से जब तुम गुजरो,

तुमसे आकार मिलने को जी चाहे,

बुढ़ापा आ गया तो क्या हमारा,

दिल में एहसास तो है तुम्हारा,


कुछ कहना नही, कुछ सुनना नही,

कोई एक दूसरे से लेन देन नही,

बस बचपन के उस प्यार ने,

हमें कभी भूलाया ही नहीं,


तुम अपनी दुनियां में और मैं अपनी,

तुम उन्ही गलियों में और मैं इन्हीं,

अब बस देख लिया करते हैं हम उस बगीचे में,

और जी लिया करते हैं उन झूलों की प्यारी यादों में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama