लकीरों में तेरा प्यार
लकीरों में तेरा प्यार
तुझे मैने बहुत भुला कर देखा,
पर दिल है कि भूलता ही नहीं।
जितना भुलाती हूँ तुझे,
तूँ उतना ही याद आता है मुझे।
क्योंकि शायद मेरे हाथों में है तेरे प्यार की रेखा,
जिसे बहुत मिटाया मैने पर वो मिटती ही नहीं।
उम्र के साथ मेरा प्यार तेरे लिये और भी बढ़ गया है।
तूँ मेरे दिल में कहीं और भी गहराई में उतर गया है।
मेरे विचारों,मेरे ख्यालों में, मेरी हर आती जाती
सांस में बस गया है तूँ इस तरह,
जैसे मेरी हाथों की लकीरों में कहीं छुपा है भाग्य मेरा ।
तुझे निकालूँ भी तो निकालूँ कैसे इन हाथों से,
क्योंकि हाथ की लकीरों के बिना
कहाँ कोई हाथ रहता है।
मिट जाऊंगी इक दिन तेरी प्यार की खातिर,
और तेरा प्यार भी मेरे संग जायेगा
इन लकीरों की तरह।