चिड़िया
चिड़िया
जिस आंगन में खेली कूदी,
हर कोने में बसी कहानी अधूरी ।
मां का सारा प्यार वहां पर,
पापा जी का दुलार वहां पर ।
सखी ,सहेली,गुड्डा ,गुड़िया,
बचपन की हर याद वहां पर ।
हुई विदाई ज्यों ही वहां से,
हुआ पराया हर शख्स वहां पर ।
कभी जो लौट कर आई चिड़िया,
ममता से खाली गागर पाए वहां पर।
सूनी आंखे ,सूना जीवन लेकर वो वापिस उड़ जाए ,
बसा पुरानी याद जेहन में
औरों के जीवन में रच बस अपना जहां बनाए वहां पर।

