STORYMIRROR

Nikki Sharma

Romance

3  

Nikki Sharma

Romance

प्रेम के आंगन में

प्रेम के आंगन में

1 min
393

प्रेम के आंगन में कुछ अनकहे,

अनजाने रिश्ते खिल जाते हैं

आकर खुशी के दामन में ये

और भी ज्यादा निखर जाते हैं


मन बावरा होकर थिरक

थिरक नाच जब जाता है

नयनों में भी प्रेम उमड़

घुमड़ और भी जाता है


कभी-कभी कुछ अनकहे

रिश्ते दिल पर छा जाते हैं

हर सुख और दु:ख बेहिचक

साझा उनसे कर पाते हैं

दिल में बस कर वो हमारी

आदत सी बन जाते हैं


यही सोचती हूं कैसे अनकहे

रिश्ते हमसे इतना जुड़ जाते हैं

बिन देखे बिन जाने भी छाप

अमिट दिल पर छोड़ जाते हैं

हां, कुछ अनकहे रिश्ते

अपने से बन जाते हैं



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance