बुरा ख़्वाब
बुरा ख़्वाब
एक दिन अचानक मेरी तो नींद ही खुल गई
ख्वाब देखा ऐसा की मेरी तो जान ही निकल गई
ख़्वाब में देखा कि मेरी तो दोस्ती ही टूट गई
ये देखते ही मेरे मुंह से तो आह निकल गई
फंसा गया था ख़्वाब में ऐसे जाल में
किसी की झूठी मोहब्ब्त के ख़्वाब में
आईने को देखते देखते ही मेरी तो
तस्वीर ही बदसूरत हो गई
वो ख़्वाब था,पर लगा हमें हकीकत,
उस रात के ख़्वाब में, उस बेवफा की याद में
ख्वाबो ही ख्वाबो में मेरी तो सांस ही निकल गई
वो ख़्वाब था, ये बहुत अच्छा था
गर वो हक़ीक़त का फसाना होता, ये सोचकर ही
इस दिल की तो सारी हेकड़ी ही निकल गई।
