Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy

"रिश्तो में दरार"

"रिश्तो में दरार"

1 min
331


हर रिश्ते में हो गई है, आजकल दरार है।

सब रिश्ते हो गये है, आजकल दागदार है।।

जिसे मानते हम यहां पर अपना आदमी।

वो व्यक्ति देता यहां पर पीछे से लात है।।


सगों ने क्या खूब दिया धोखा बेशुमार है।

आंख के आंसू भी हो गये अब लाचार है।।

टूटकर शीशा भी हुआ बेचारा तार-तार है।

वो कर रहा, इंसानों को पहचानने से इंकार है।।


जिनके लिये कर रहा है, तू भागमभाग है।

बुरे दौर में वो रिश्तेदार दिखा रहे आंख है।।

क्या खूब हुए लोग यहां पर समझदार है।

मनु को छोड़ सब ही यहां पर वफादार है।।


हर रिश्ते में हो गई है, आजकल दरार है।

हर रिश्ते में छिपे आज भेड़िये हजार है।।

लोग स्वार्थ के लिये निभाते रिश्ते चार है।

लहू-रिश्ते में भी क्या ख़ूब पानी की बहार है।


आजकल लोग हो गये है, इतने होशियार है।

थोड़ा असतर्क रहते लूट लेते, बीच-बाजार है।।

यूँ चला रखा स्वार्थ-मतलब का कारोबार है।

अपने ही अपने को लूटकर न ले रहे डकार है।।


गरीबी में जो दिखाते थे आंखें बार-बार है।

पैसे होते वो ही रिश्तेदार टपका रहे लार है।

वाह ऱे! दुनिया तेरे भी रंग एक न हजार है।।

जिनमें थी दरार, पैसे होते बता रहे प्यार है।।


पर तू रहना साखी, इस दुनिया में खुद्दार है।

अमीर, दीन सर्व साथ कर सम व्यवहार है।।

हमेशा तू खुदी में रहना यह खुदगर्ज संसार है।

बालाजी के अलावा हर रिश्ता, यहां बेकार है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama