पागलपन
पागलपन
प्यार का एहसास,
एक उम्र का पागलपन,
मुझे भी हुआ नशा,,
जब छाई हुई थी सावन की घटा।
जल चढ़ाने मंदिर गई थी,
वहीं हो गए इन जनाब के दर्शन,
ओह ओह क्या फीलिंग जागी थी,
कसम से एक अलग सी
गुदगुदी भीतर हो रही थी।
फ़ोन तब सिर्फ़ लैंड
लाइन हुआ करते थे
वो भी अपने नहीं,
पड़ोसी के घर पर होते थे
किस टाइम फ़ोन आयेगा ये
पहले ही फिक्स हो जाता था
और उस टाइम पड़ोसी के
फ़ोन पर अपना कब्ज़ा होता था।।
