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Navin Madheshiya

Drama

4  

Navin Madheshiya

Drama

मानसिक विछिप्त

मानसिक विछिप्त

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एक लड़की मानसिक विछिप्त 

जा रही थीं सड़क से 

ना थी परवाह खुद की 

बस हँसी जा रही थी, सब को देख कर 

कपड़े फटे पुराने मटमैले कुचले 

जहां दिख रहे थे उसके अंग 

लगा देखने कलयुगी दुष्यंत 

कोई हथौड़ा चलाते, हाथ पर मारा 

कोई चबाते हुए पान 

सब देख रहे थे एक टक उसको

 छोड़ कर अपना सब कुछ काम 

दूर कही एक पेड़ की कोट में 

बैठा था बृद्ध ,उसके ओट मे 

देखा यह दृश्य पीछे मुड़ गया 

अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा गया 

लगे छेड़ने कुछ लड़के वहाँ जाकर 

लगी भागने वह गरियाकर 

पड़े थे पीछे, ना रहे थे छोड़

 रो रही थीं चिल्लाकर ,चारों ओर 

दिये और कपड़े उसके फाड़ 

ना पड़ा फर्क, ना बदला उसका व्यवहार 

विचर रही थी, सिंह की भाति 

देखकर सब को, हंसते जाती 

जा रही थी दो लड़की किसी ओर

 देख कर उसको करी सर नीचे की ओर 

जैसे की हो कोई गलती अपने अभी 

इसलिए सर झुकाए आगे बढ़ चली 

 थी कौन सी गलती उसकी कौन सी विप्त 

 वह थी एक लड़की पर कौन था मानसिक विक्षिप्त



साहित्याला गुण द्या
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