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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

हे कृष्ण

हे कृष्ण

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कृष्ण ही मेरे प्रियतम प्यारे

मन मंदिर में रखती पास 

मीरा बन मैं इत-उत डोलूँ 

भटके न भय-दुख भी पास।


शीश पर उनका हाथ मेरे है

पाप-पुण्य की फिर क्या हो बात 

भव्य मूर्ति उनकी दिल में बसी है

रहते हर पल मेरे साथ।


स्वराज दिलाते, मान दिलाते

भीड़ भी आती मेरे पास 

दुख-दर्द हरते वही सभी के 

पर, मुझे बनाते सबकी खास।


त्याग दिया सब उनकी खातिर 

समर्पित कर्मफल और हर एक आस  

मिलन से उनके बाँट जोहती 

मृत्यु न आती जब तक पास।


उधारक जो उद्धार ही करते

भक्तो की रखते सबकी लाज 

माया कभी भी छू सके न

वही कराते भवसागर पार।


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