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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

गीत

गीत

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बैठा पीपल की शीतल छांव में

आया एक फकीरा तेरे गांव में


हैं मंजिल का वो एक मुसाफ़िर

आ गया तेरे गांव मे आखिर

धन दौलत की कुछ चाह नही है

खान पान की भी परबाह नही है

बैठा डेरा लगाकर तेरे गांव में

आया एक फकीरा तेरे गांव में


घड़ी  दो घड़ी  को  मैं आया 

प्यार वफ़ा मैं साथ में लाया

लम्बे रस्ते न हैं मुझे थकाया

क़िस्मत ने मुझे यहाँ पहुचाया

पड़ गए छले बहुत मेरे ही पाँव में

आया एक फकीरा तेरे गाँव में


तेरे सिबा मिरि कोई आस नही हैं

तू ठुकरा देगा यह विश्वास नही हैं

पीना नही मुझे किसी गैर से अमृत

ऐसा नही की मुझे प्यास नही हैं

तू तो आती रही थी मेरे ख़्वाब में

आया एक  फकीरा तेरे गांव मे


किस्मत को मेरी आज बना दे

 गले लगा मुझे या ठुकरा दे

करना बस मुझे दीदार ही तेरा

चहरे से जरा तेरे नक़ाब उठा दे

देखा मैने तुझे हैं मेहताब में

आया एक फकीरा तेरे गाँव मे


मैने जिस से दिल है लगाया

याद रखा उसे जहाँ भुलाया

बस करना है दीदार ये तेरा

इसलिए  तेरे  गांव में आया

अपना जीवन लगाके है दाँव में

आया धरम फकीरा तेरे गाँव में।


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