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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

कड़वा सच

कड़वा सच

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जीवन का सबसे कड़वा सच

आदमी को स्वीकार नहीं सच

सुनकर झूठी तारीफ के लफ्ज आदमी चढ़ जाता जल्द, दरख़्त

व्यक्ति बनना चाहे ऐसा, दीपक जो फैलाना चाहे यहां पर तम

सबका ही आज उसको है, मत मधुर झूठ बोलता है, फटाफट

जीवन का कैसा है, यह सबब सत्य हो गया है, आज बेबस

जो सच बोलते है, साखी लब उन्हें आज नहीं मिलता है, रब

जीवन का सबसे कड़वा सच सच लगे, शूल, झूठ लगता, सुमन

पर साखी तू बोलना सदैव सच सच बोलने पर मिलती है, राहत

झूठ चाहे कितना हो बलशाली पर अंत में जीतता है, सच वचन

शीशे का कितना ऊंचा हो, मस्तक एक पत्थर आगे है, वो नतमस्तक

जैसे कड़वा दवा करती है, असर वैसे कड़वा सच विष लेता है, हर

जो शख्स रहता, सत्य में नित रत उसको मिलती है, सर्वत्र इज्जत

यह ज़माना उसके आगे होता, नत जो कड़वे सच को माने, मधुर सत



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લોગિન

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