STORYMIRROR

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

कविता

कविता

1 min
402

यू लगा है मुझे आज मेरे सनम 

मेरी चाहत तुझे भी कम हो गई

दिल ने रोका बहुत मैं मगर क्या करूँ

याद आई मुझे आँख नम हो गई

अब चले आओ तुम मैं पुकारो तुझे

वक्त है आज फिर कल रहे ना रहे


आज हैं पास हम आओ मिलकर यहाँ

ख्वाब कोई नया फिर सजाए यहाँ

भूलकर ये जहा एक दोजे मैं हम

दूध पानी मिले ऐसे मिल जाए हम

बस मिला एक पल वो भी पल के लिए

देर करना नही यार  पल ना रहे


 मैं  जहाँ से लडूंगा  तुम्हारे लिए

तुम बनो तो सही राम की साधिका

प्रेम ऐसा रहे इस तरह हम मिले

मैं बनूँ कृष्ण तुम भी बनो राधिका

आज है वक्त तो आओ पा लो प्रिय

 पेड़ पर प्रेम का फल रहे ना रहे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama