कविता
कविता
यू लगा है मुझे आज मेरे सनम
मेरी चाहत तुझे भी कम हो गई
दिल ने रोका बहुत मैं मगर क्या करूँ
याद आई मुझे आँख नम हो गई
अब चले आओ तुम मैं पुकारो तुझे
वक्त है आज फिर कल रहे ना रहे
आज हैं पास हम आओ मिलकर यहाँ
ख्वाब कोई नया फिर सजाए यहाँ
भूलकर ये जहा एक दोजे मैं हम
दूध पानी मिले ऐसे मिल जाए हम
बस मिला एक पल वो भी पल के लिए
देर करना नही यार पल ना रहे
मैं जहाँ से लडूंगा तुम्हारे लिए
तुम बनो तो सही राम की साधिका
प्रेम ऐसा रहे इस तरह हम मिले
मैं बनूँ कृष्ण तुम भी बनो राधिका
आज है वक्त तो आओ पा लो प्रिय
पेड़ पर प्रेम का फल रहे ना रहे।