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Krishna Bansal

Drama Others

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Krishna Bansal

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दो जून की रोटी

दो जून की रोटी

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दो जून की 

रोटी के लिए 

क्या क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं।

हम सब जानते हैं।


आप चाहे अमीर हों

या गरीब 

लगातार प्रयत्न करने ही पड़ते हैं।


गरीब को 

वर्तमान की 

दो जून की रोटी का फ़िक्र है।

इसी चक्कर में 

रोज़ दिहाड़ी करता है 

खून पसीना एक करता है।

तब जाकर दो जून की 

रोटी का प्रबन्ध होता है।


यद्यपि अमीर को 

दो जून की रोटी की तो 

इतनी चिन्ता नहीं है

पर वह भी सारा दिन 

कोल्हू के बैल की तरह 

घूमता रहता है 

क्योंकि उसे दूसरों से आगे निकलना है 

और आने वाली 

सात पीढ़ियों के लिए

जोड़ना है।


गरीब की तो मजबूरी है

मगर अमीर सोचते ही नहीं 

अगली पीढ़ी 

अपना भाग्य और कमाने का सामर्थ्य साथ लाएगी।


बेकार ही पिसते रहते है

तनाव पाले रखते हैं।



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