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Animaish Singh

Drama

4  

Animaish Singh

Drama

दोहरापन

दोहरापन

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मैं रंगो के दृश्य दिखाऊंगा

चाहें जिंदगी कितनी भी बेरंग हो मेरी।

मैं दिलों के जुड़ने की कहानियां सुनाऊंगा

दिल में भले दुश्वारियां कितनी हों भरी।


मैं नगमें प्यार और वफा के सुनाऊंगा

अंदर समेटे हुए नफरत और बेवफाई अपार।

कविताओं में अपनी समुंदर से लड़ जाऊंगा

भले टूटी पड़ी हो नैया मेरी इस पार।


हर धुन में ज्वाला का सा प्रतीत होऊंगा

चाहें बुझी हो भीतर की आग अभी।

जोश से भरपूर खुद तो दर्शाऊंगा

भले अंतर्मन की शक्तियां क्षीण हों सभी।


मैं कवि हूं, 

इतना तो कर ही सकता हूं।

दो जिंदगियां,

एक यथार्थ और एक काल्पनिक तो जी ही सकता हूं।


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