न चाहूँ महल या सोना चाहूँ बस तेरी ही होना, सीखी है जीवन से यह सीख तेरे संग ही हमारी साँची प्रीत। न चाहूँ महल या सोना चाहूँ बस तेरी ही होना, सीखी है जीवन से यह सीख तेरे संग ही...
बिन परिचय ही जन मानस के मन समाए ! बिन परिचय ही जन मानस के मन समाए !
और अगर वो राजकुमार हैं जीतूं उन्हें, स्त्री हर लाऊं। और अगर वो राजकुमार हैं जीतूं उन्हें, स्त्री हर लाऊं।
वो यूँ ही तर जाते हैं भवसागर से, जिनका हृदय होता बड़ा साँचा है। वो यूँ ही तर जाते हैं भवसागर से, जिनका हृदय होता बड़ा साँचा है।
भगवान से भी गुरू मिलता जो भवसागर से दे तार।। भगवान से भी गुरू मिलता जो भवसागर से दे तार।।
माया कभी भी छू सके न वही कराते भवसागर पार। माया कभी भी छू सके न वही कराते भवसागर पार।