खून-खराबा
खून-खराबा
आज हरतरफ सोर शराबा है
कोई जगह नही रही काबा है
आज लोग हो गये है दुराचारी,
हर ओर हो गया खून-खराबा है
हम जिसको अपना मानते है,
सच्चे हृदय से अपना जानते है,
वही लोग तोड़ रहे प्रेम धागा है
हर ओर हो गया खून-खराबा है
इन स्वार्थी लोगो की बस्ती में,
सच्चे लोग रोज कर रहे साका है
विश्वास शब्द से अब डर लगता है,
इस पर आज डाल रखा डाका है
आईने सी जिंदगी पर गुमां न कर,
हर बुलबुले का ख़त्म होता नाका है
अपनी होशियारी पर इतराने वाले,
अपनी भाईयों का खून बहाने वाले
तुम्हारा कल बहुत बुरा होगा
ख़ुदा तुम्हे करेगा बहुत बांका है
जो रखते अच्छाई का इरादा है
खुदा उन्हें देता जन्नत का प्याला है
वो यूँ ही तर जाते हैं भवसागर से,
जिनका हृदय होता बड़ा साँचा है।