बहु कहाँ से लाओगे ?
बहु कहाँ से लाओगे ?
जब बेटी को मारोगे तो बहु कहाँ से लाओगे ?
बेटों की चाहत वालों, पोते कहाँ से पाओगे?
बेटों का संसार कुचल ख़ुशी कैसे मनाओगे ?
प्रकृति-नियमों को भला कैसे झुठला पाओगे ?
परमात्मा भी रचते सृष्टि प्रकृति के संयोग से।
पशु-पक्षी, जीव-जंतु सब नर-मादा के योग से।
जननी को ही मार, सृष्टि तुम कैसे रचाओगे ?
कन्याओं की कमी कर क्या दुराचार बढ़ाओगे ?
कुरीतियों से घिरे, सामाजिक विकृतियों में जकड़े।
लोभ, लालच, कुंठा से घिर फिरते हो अकड़े-अकड़े।
पथभ्रष्ट हो कन्या-हत्या-हथकंडे तुम अपनाओगे।
अक्षम्य पाप करोगे तो सज़ा अवश्य ही पाओगे।
जब बेटी को मारोगे तो बहु कहाँ से लाओगे ?
